उद्देश्य

1. समाज को वसुधैव कुटुम्बकम की भावना से समृद्ध बनाना.

2. वैयक्तिक आत्मविश्वास और आत्मगौरव विकास द्वारा; समग्र सामाजिक विकास.

3. वैयक्तिक समृद्धि के, चिरन्तन ऊर्धवगामी विकास एवम् स्वमेव संचलन के लिये आवश्यक वैचारिक अधोसंरचना निर्मिती.